भगत फूल सिंह
19वीं सदी में अंग्रेजी की दासता झेल रहे समाज में गरीबी, अज्ञान, अशिक्षा तथा व्याप्तरूढ़ियों के खिलाफ लड़ने वाले महापुरुषों में शामिल भगत फूल सिंह सोनीपत के ग्राम माहरा में साल 1885 में जन्मे थे। उनकी करुणा, दया तथा सामाजिक नेतृत्व पैदा करने के संघर्ष हमारे लिए काफी प्रेरणादायक है। भगत फूल सिंह जी द्वारा अपने जीवन में रिश्वत छोड़ने के निर्णय से लेकर मासाहार छोड़ने तक की यात्रा, वृद्ध हरिजन से सिर पर जूता मारने का आग्रह, 1916 में समालखा में बूचडखाने का विरोध, रोहतक गौ रक्षा सम्मेलन का नेतृत्व गौचर भूमि को अनशन दद्वारा मुक्त कराना, प्लेग रोगियों की सेवा करना, साल 1928 में होइल में शुद्धि के लिए 18 दिन का अनशन मोठ गांव में हरिजनों के लिए कुएं का निर्माण करवाना हैदराबाद सत्याग्रह में सहयोग, मुसलमानों से हिंदू कन्या को वापिस लाने की घटना, लौहारू कोड की घटना, उरलाना में हिंदुओं को उनकी भूमि दिलवाना, बालिका शिक्षा को बढ़ावा
देने के लिए प्रयास गांधीजी द्वारा प्रशंसा प्राप्ति चौधरी छोटूराम जी से संवाद आदि उनके जीवन से जुड़ी ऐसी महत्वपूर्ण घटनाएं हैं, जो उन्हें आम से खास व्यक्तित्व बनाती है। भगत जी कन्याओं की शिक्षा के लिए विशेष चिंतित थे, अतः साल 1936 में खानपुर के जंगल में उन्होंने कन्या गुरुकुल की स्थापना की थी।