महर्षि दयानंद सरस्वती

महर्षि दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के चिंतक और आर्य समाज के संस्थापक थे। उन्होंने ही वेदों की महत्ता को सर्वोपरी मानते हुए ‘वेदों की cheap replica watches ओर लौटो’ का नारा दिया था। सरस्वती जी की शिक्षाओं में समाज को सत्य के मार्ग पर चलाना, पाखंड, अंधविश्वास, नारी शोषण, कन्याओं को शिक्षा से वंचित रखे जाने तथा छुआछूत जैसी कुरीतियों को खत्म करना शामिल था। वहीं उनके विचारों की सामाजिक स्वीकृति की बात करें तो सरस्वती जी के द्वारा दिए गए ‘स्वराज’ के नारे को ही लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया था तथा वीर सावरकर का replica Tag Heuer कहना था कि महर्षि दयानंद सरस्वती संग्राम के सर्वप्रथम युद्धवह अपने लेखन के माध्यम से स्वशासन की मांग करने वाले पहले व्यक्ति थे। Rolex day-date replica

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